गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

भोजपुरी आइटम गीत

कइले बा बदनाम हमें कमबख्त जवानी हो गईल
बांके नयन पर चढ़ल जोबन पर 
बिजुरी बदनवां हो गईल
कइले बा बदनाम हमें कमबख्त जवानी हो गईल ,

जबसे लागल साल सोलहवां राह चलल दुश्वार भईल 
दम-दम दमके चाँद सा मुखड़ा लोगन क बुरा हाल भईल
ना कवनों सिंगार ना मोतीयन के हार हुस्न गहनवां हो गईल 
कइले बा बदनाम हमें कमबख्त जवानी हो गईल ,

महुआ ऐसन गदरल जवानी जियरा के जंजाल भईल 
गाल गुलाबी नैन शराबी ओठ क लाली काल भईल 
बलखाती कमर पे तिरछी नजर पे कातिल कजरवा हो गईल
कइले बा बदनाम हमें कमबख्त जवानी हो गईल ,

मुड़-मुड़ के देखें मोहे बटोही मतवारी जब चाल भईल 
सीने से ढलके लाल दुपट्टा बाबा रे इ का हाल भईल 
नागिन सी लट पे अदा के झटके लट्टू जहनवा हो गईल
कइले बा बदनाम हमें कमबख्त जवानी हो गईल ।

शैल सिंह 


भजन " बनाओ ना बावरिया "

जमुना से गगरिया भर लाने दो -2
जमुना से गगरिया भर लाने दो श्याम
रोको ना डगरिया घर जाने दो रोको ----।

सांझ ढल आयी घिर आयी बदरिया
रात अँधेरी चमके चम-चम बिजुरिया 
छोड़ो ना कलईया,छोड़ो ना कलईया,घर जाने दो रोको --।

कारन तोरे संग छोड़ी सब गुजरिया
राह निरखती होगी मैया की नजरिया 
छोड़ो ना कन्हैया,छोड़ो ना कन्हैया घर जाने दो ---।

कोरी चुनरिया मोरी बारी उमरिया 
लागे डर अकेली कैसे जाऊँ घर संवरिया
पड़ूं तोरे पईंया,पड़ूं तोरे पईंया घर जाने दो ---।

जादू भरी अंखिया मन मोहरी बंसुरिया 
करो ना विवश मोहे बनाओ ना बावरिया 
होगी बदनामी सैंया,होगी बदनामी घर जाने दो---।

शैल सिंह 






भजन " राधा भई है बावरिया "

मधुसूदन मथुरा में छाये राधा ताकती डगरिया 
ले लो ना खबरिया स्वामी ले लो ना खबरिया ,

गायें,गलियां,गोपी,ग्वाले पूछें हाल तेरा 
बेहाल ब्रज के वासी बेचैन हाल मेरा 
सूना जमुना तट सूनी कदम छांव डरिया 
ले लो ना खबरिया स्वामी ले लो ना खबरिया ,

बोले ना कलाई कंगना बोले ना पैंजणियां
तुम बिन जमुना सूखी कैसे भरूँ पनियां
कांहे बरसाये नेहा बजाये क्यों बंसुरिया 
ले लो ना खबरिया स्वामी ले लो ना खबरिया ,

कांहे हँसी प्रीत मोसे लगाये मन मोहना
कुञ्ज संवरिया देखि राधा का भूले अंगना 
रोती हैं गुजरिया सारी राधा भई है बावरिया 
ले लो ना खबरिया स्वामी ले लो ना खबरिया ।

शैल सिंह 

भजन " मुदित मन से दोनों नाम,राम श्याम भज ले "

भज ले रे मनवां हरिनाम भज ले 
सियाराम भज ले राधेश्याम भज ले
मुदित मन से दोनों नाम,राम श्याम भज ले 
सियाराम भज ले,राधेश्याम भज ले,भज ले रे ----।

परनिन्दा,परित्याग कर अप्रिय वचन न बोल मन 
सत्य और निष्ठा की डगर पर बस तूं चल रे मन 
घट-घट में मिलेंगे रामश्याम भज ले
सियाराम भज ले,राधेश्याम भज ले,भज ले रे ----।

मद,लोभ,काम,क्रोध,ईर्ष्या,द्वेष,राग छोड़ मन
सद्गुणों को अंगीकार कर,दुर्गुणों से मुक्ति ले रे मन
साधना आराधना में रामश्याम भज ले
सियाराम भज ले,राधेश्याम भज ले,भज ले रे ----।

करले निर्मल अन्तर्मन आचरण को करले पावन
नियम,धर्म,संयम का जीवन में करले पालन 
लक्ष्य होंगे सिद्ध सारे रामश्याम भज ले
सियाराम भज ले,राधेश्याम भज ले,भज ले रे ----।

शैल सिंह 







शिव भजन

भोले शंकर का सजा दरबार 
चलो री सखी देखन चलो
अद्भुत छटा बेमिसाल 
चलो री सखी देखन चलो
लगी भीड़ है अपरम्पार 
चलो री सखी देखन चलो ।

आया तेरे दर पर तेरी दरश को
भूखा,लंगड़ा,लाचार
चलो री सखी देखन चलो,भोले शंकर का ----।

भांग चढ़ावें सब नर नारी
शिवजी लुटावें प्यार
चलो री सखी देखन चलो,भोले शंकर का ----।

कोई बजावे ढोल,मंजीरा
कोई झूम के गावे मल्हार 
चलो री सखी देखन चलो,भोले शंकर का ----।

गौरी शिवशंकर लगें अलबेला
सारी अँखिया हैं अपलक निहार 
चलो री सखी देखन चलो,भोले शंकर का ----।

शैल सिंह 

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

कन्हैया भजन

मैया तेरो कृष्ण कन्हैया नटखट बड़ा शैतान 
फोड़ दी मटकी खा गयो माखन बड़ा कियो रे परेशान 
छिपा है कहाँ बता शैतान --2

जमुना किनारे वंशी बजाना बैठ कदम की डरियन पे
गउवा चराना निरा बहाना चीर चुराना छोरियन के 
सब सखियाँ मनुहार करें बड़ा कियो रे हैरान
छिपा है कहाँ बता शैतान --2

नन्दलाल तेरो बड़ा उत्पाती रार करे ब्रज गलियन में
ग्वाल बाल संग शोख शरारत रास रचावे गोपियन में
कैसी-कैसी लीला ठग की तूं बड़ी बनो रे अनजान 
छिपा है कहाँ बता शैतान --2

पकड़ गई चितचोर की चोरी मुख माखन लिपटा दधियन से
कान पकड़ कान्हा भरमाते आँसू भरि-भरि अँखियन से
मैं बालक बहियन को छोटो बड़ा बनो रे नादान 
छिपा है कहाँ बता शैतान --2

श्याम भजन

कैसा जादू है तुझमें सांवरिया
तेरी चाहत में हो गई बवरिया 

जमुना किनारे जल भरने के बहाने
गई श्याम आओगे गउवा चराने 
बेख़याली में डूबी गगरिया 
मैं तो हो गई बवरिया,कैसा जादू है ---।

थिरकने लगे पांव मुरलीधर की धुन पे
कैसै ना झूमूँ मधुर तान सुनके
बेशरम छन से टूटी पयलिया 
मैं तो हो गई बवरिया,कैसा जादू है ---।

कहाँ जा छुपे हो नटखट कन्हैया
नगर-डगर ढूंढ़े है यशोमती मैया
कितनी बेचैन ब्रज की गुजरिया
मैं तो हो गई बवरिया,कैसा जादू है ---।

तुम्हारी कसम अब ना चुगली करेंगे
माखन मलैया भरि मटकी रखेंगे 
जरा फिर से बजा दो बंसुरिया
मैं तो हो गई बवरिया,कैसा जादू है ---।

शैल सिंह 

 

'' भोजपुरी में मेरी ये कविता ''

केकरा सह पर भईल बा एतना शानी
बोलेला बदजुबानी कन्हैया
निर्लज्ज मजमा लगा के नौटंकी खानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

बोली सुन उबाल आवे मन करे गर्दन मरोड़ीं जाके
तमाशबीनन के सठिअइले पर देईं लताड़ जाके
काहे बढ़-चढ़ के बोलेला हरामी
भइल बा अभिमानी कन्हैया ।

सहकी-सहकी बोले चहकी-चहकी बोले
हरजाई जोकर लागे भांड जस मुंह खोले
वेमुला के आदर्श माने हिन्द के अपमान पर
सेना के बदनाम करे आतंकिन के सम्मान पर
एकरा ऐंठन पर फेरे के होई पानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

पड़ोहा क ई मच्छर बाटे फैलाई महामारी
ऑपरेशन जरुरी इन्फेक्शन से होइ बेजारी 
लुच्चा कहेला भारत के टुकड़ा-टुकड़ा होई
घर-घर में कहेला भड़ुवा अफजल पैदा होई
सनपाति के बोलेला आनी-बानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

अभिव्यक्ति क अजादी मांगे भारत क बरबादी
देश के जगा दिहले पगला तूं कही के मनुवादी
देशप्रेम क उमड़ल सोता जागल सगरो जनता
मिटा के भेदभाव सबमें भईल बा अजब समता
दोगलन पे करिहा मत मातृभक्त मेहरबानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

देशभक्तन के फुटल बाटे अंगे-अंग गुस्सा
तबों नाहीं बाज आवे केतना बदजात टुच्चा
हिन्द क अपमान करे भारत के मुर्दाबाद कहे
आतंकियन के संगे मिली पाक जिंदाबाद कहे 
गद्दारन क खैर नाहीं सब लिये मन में ठानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

निठल्ला बनि के भीख मांगे पेन्हि वामपंथी चोला
भूखमरी,गरीबी के ककहरा पे दागे बेतुका गोला 
अरे घर-घर के अफजल के हर-हर सेनानी सुन
लगइहें ठिकाने बच्चा-बच्चा लेहले मन ठानी सुन
डाली के मुश्किल में सगरी जिंदगानी
बेलगाम बोले अभिमानी कन्हैया ।

पड़ोहा--नाली   ,  सनपाति ---पगला कर

हमरो पिया परदेशिया रिसाई गईले ना

अईंली आधी रात सेजिया 
लागी गउवे निंदिया 
रिसाई गईले ना हमरो पिया परदेशिया रिसाई गईले ना----

बहुत दिननवां पे पिया घरे अइले
दिनवां बितवले कइसों सांझि के बोलवले
ऐसन बवाल बाड़ी ससुई ननदिया    
रिसाई गईले ना हमरो पिया परदेशिया रिसाई गईले ना---

अबहीं अघाई के ना कवनो भइलीं बतिया 
रूसले मनवले में बीति गइल रतिया
केतनों डोलाईं हम रस-रस बेनिया
रिसाई गईले ना हमरो पिया परदेशिया रिसाई गईले ना---   

कांची उमरिया में गवना ले अइले
बारी बा उमर अबहीं बाबूजी बतवले 
होत भिनुसार दिन लेके अईले भईया 
रिसाई गईले ना हमरो पिया परदेशिया रिसाई गईले ना---

डोलिया कंहरवा दुवरवे पे रहले
भईले निर्मोही बिना बोलले चलि गईले 
कईसे बुझाई अपने हियवा के अगिया 
रिसाई गईले ना हमरो पिया परदेशिया रिसाई गईले ना---

एक झलक जो देखा उनको

मन को भा गई सांवली सुरतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।

आते-जाते उनसे मुलाकात बस हुई
आँखों-आँखों में ही सिर्फ बात बस हुई
सपनों में मेरे रोज-रोज मेरे आने है लगा
रोम-रोम मेरा गुदगुदाने है लगा,

जाग-जाग के बिताई सारी रतिया
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।

शाम से हूँ बैठी घर का खोल झरोखा
इक झलक की चाह वो है सबसे अनोखा
धड़कनों को छेड़ा है नाजो अंदाज ने
खुश्बू की तरह छाया है जां ओ जहान में,

डगर-डगर पर बिछाई दोनों अंखिया
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।

पूछता जमाना क्या हुआ है जानेमन
क्यों नैना खोये-खोये चाल-ढाल बांकपन
इक नजर के जादू की है ये दीवानगी
दिल्लगी के माजरा की ये रवानगी,

राजे दिल की छिपाई सबसे बतिया
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।






बिन तेरे ओ सजना

बिन तेरे ओ सजना मेरा फीका चूड़ी कंगना
बिन तेरे ओ बलमा मेरा सूना घर ये अंगना
भला कैसे सावन का मजा आयेगा रब्बा
कोई तो बता दे आके कोई समझा दे ,रब्बा --- 

पल-पल तेरी याद सताये अधरों पे बस पिया-पिया
पपिहा पी पी बोले ,कुहुके कोयल बगिया
सारी-सारी रातें जागूँ नींद ना आये अँखिया
पगली कहते लोग मुझे बावली हो गई छलिया

बिन तेरे ओ सजना डंसती काली रैना
बिन तेरे ओ बलमा भाये ना कजरा नैना
भला कैसे सावन का मजा आयेगा रब्बा
कोई तो बता दे आके कोई समझा दे ,रब्बा --- 

सास ससुर की बोली लगे कलेजे गोली
ननद छिछोरी ना जाने कब जायेगी डोली
डर के मारे भागती छिपती देवरा करे ठिठोली
पकड़ कलाई छेड़े हरदम पाके मुझे अकेली 

बिन तेरे ओ सजना कैसा सिंगार औ गहना
बिन तेरे ओ बलमा इस घर मैं कैसे रहना
भला कैसे सावन का मजा आयेगा रब्बा
कोई तो बता दे आके कोई समझा दे ,रब्बा --- 



'' भजन ''

  '' भजन ''   

भगवन तुम तो बसे हो मन-मन्दिर
ईंट-पत्थरों के शिवाले क्यूँ जाऊँ
जब मन के नगर में तेरा महल
क्यूँ चौखट-चौखट सर टकराऊँ ,

तेरा रूप धार ली काया मेरी
प्रतिदिन अंग भभूत लगाऊँ
रच-बस गए हो प्रभु तुम मुझमें
नख-शिख रोम-रोम सुख पाऊँ ,

याचनाओं का अर्ध्य भेंट दी
दु:ख का मृगछाल बिछाऊं
निशि-वासर हूँ लीन भजन में
दीन-दशा का भोग चढ़ाऊँ ,

तेरे पांव पखारें नीर नयन के
दुःख की गागर छलकाऊँ
कहीं छवि ओझल ना जाये
डर से पलकें ना झपकाऊँ ,

तुम ध्यान मग्न मेरे उर गह्वर में
क्यूँ गुफ़ा कंदरा मन भटकाऊँ
जब मुझमें समाहित तुम प्रभुवर
क्यूँ दर-दर की जा ठोकर खाऊँ ,

एक बार नज़र तूं फेरे इधर
क्यूँ मन्दिरों की घण्टी खटकाऊँ
जब नज़रबन्द कर लिया तुझे
दिन रात दरश तेरा पाऊँ ,

                      शैल सिंह


मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

गीत

बैरी पूरवा के झोंके से उड़ी है चुनरिया
हाय दईया खुल गई लाज की गठरिया
अनजानी राह दूर घर है बखरिया 
हा दईया घूरती हैं जालिम नजरिया

सोलहवें साल की बाली उमरिया
जाम जैसे छलके है तन की गगरिया
मनचले छोरे छेड़ें चलती डगरिया 
हा दईया घूरती हैं जालिम नजरिया,

छम-छम निगोड़ी बाजे पांव की पयलिया
बलखाती चाल मोरी झनके झांझरिया
चाँद जैसा मुखड़ा उसपे रूप की बजरिया
हा दईया घूरती हैं जालिम नजरिया,

नादानी में सजके निकली शहरिया
हल्ला-हल्ला शोर हुआ गिरती बिजुरिया
कुड़ी गांव की मैं अल्हड़ अजूबा नगरिया
हा दईया घूरती हैं जालिम नजरिया,

लागे शरम कैसे जाऊं ओसरिया
मेला लगाये लोग बइठे दुवरिया
आग जैसे फैल गई छोटी सी खबरिया
हा दईया घूरती हैं जालिम नजरिया ।


शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

स्व रचित कविता 'देश गान'

           स्व रचित कविता
               'देश गान'      

                                                       
आन,बान,अस्मिता के लिए लड़े लड़ाईयां,
नौनिहालों शौर्य की सुन लो वो कहानियाँ,
जय भारती जय वीरभूमि जय 
जय भारती जय वीरभूमि जय ।
 
ललकारी थीं माँएं बहने अपनी आँख के तारों को,
सौंपीं स्वर्नाभूषण,चाँदी,मंगलसूत्र गले के हारों को,
स्वाभिमान के समर में ढहा कटुता की दीवारों को,
कर में तिलक लगा पकड़ायीं  दुधारी तलवारों को.
मातृभूमि के लिए हवन कीं  हर कौम ने जवानियाँ
नौनिहालों शौर्य की सुन लो वो कहानियाँ,
जय भारती जय वीरभूमि जय 
जय भारती जय वीरभूमि जय ।

पराक्रमी मराठे जूझे थे मुगलों के अत्याचारों से,
वतन परस्ती का जज़्बा भर मतवाली हूँकारों से,
सत्ता छीनकर किया हुकूमत गोरी शुरमेदारों से,
चूलें हिला दीं थीं शूरवीरों ने इंकलाब के नारों से,
शेर शिवाजी राणा प्रताप ने दीं अपनी कुर्बानियाँ
नौनिहालों शौर्य की सुन लो वो कहानियाँ,
जय भारती जय वीरभूमि जय 
जय भारती जय वीरभूमि जय ।

की थी अंग्रेजों ने मनमानी जलियाँ वाले बाग़ में,
हल्दी घाटी में राजपुताना आयुद्ध था उन्माद में,
कूदीं हजारों पद्द्मिनियाँ जौहर होने को आग में,
कई मिसालें गौरव की हैं  इस माटी की नाभि में,
वफ़ादार चेतक की रण में चौकड़ी कलाबाजियाँ
नौनिहालों शौर्य की सुन लो वो कहानियाँ,
जय भारती जय वीरभूमि जय 
जय भारती जय वीरभूमि जय ।

सिर पे बांध तिरंगा सेहरा जाँबाज़ी दिखलाई थी,
सीने पर जाने कितनी गोली परवानों ने खाईं थीं,
देख दीवानगी वीरों की उर्वी की छाती थर्राई थी,
नयन के तारों की आहुति पे ये आज़ादी पाई थी,
खेल रक़्त की होली तोड़ीं परतन्त्रता की बेड़ियाँ
नौनिहालों शौर्य की सुन लो वो कहानियाँ,
जय भारती जय वीरभूमि जय 
जय भारती जय वीरभूमि जय ।

लहर-लहर लहराये पताका शान से स्वाभिमान की,
स्वाधीनता का महाप्रसाद ये सूरमों के बलिदान की,
ऋण तभी चुका पायेगा भारत होंठों के मुस्कान की
सीने से लगा कर रखना थाती पुरखों के सम्मान की,
चैन की बंशी बजाकर सोती आज़ादी चादर तानियाँ
नौनिहालों शौर्य की सुन लो वो कहानियाँ,
जय भारती जय वीरभूमि जय 
जय भारती जय वीरभूमि जय ।

उर्वी---धरती
सर्वाधिकार सुरक्षित 
शैल सिंह
                                                        

शुक्रवार, 10 जून 2022

पाकिस्तान की गुस्ताख़ी पर गाना

मानें नाहीं कहना पाकिस्तानी तो
सुनो हिंदुस्तानी विरना
मिटा दो इनकी नामो निशानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

कितनी बार समझाया नहीं समझे बात ये
बार-बार करता ख़ुराफ़ात बदजात ये 
अब तो हो रहा सर से ऊपर पानी 
ऐसी करो कारस्तानी विरना
कि इनके पुरखे भी आके मांगें पानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

मानें नाहीं कहना पाकिस्तानी तो
सुनो हिंदुस्तानी विरना
मिटा दो इनकी नामो निशानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

जबसे मिला है जग में हिन्द को पहचान हो
तब से हुआ है पापी देखो परेशान हो
करे मिल के चीन संग शैतानी तो
बता दो होता कैसा दुश्मन जानी विरना
तुझे शेरों होगी औक़ात दिखानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

मानें नाहीं कहना पाकिस्तानी तो
सुनो हिंदुस्तानी विरना
मिटा दो इनकी नामो निशानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ।

शुक्रवार, 3 जून 2022

टूटे सब आस

 टूटे सब आस 

अमराइयाँ खिली हैं 
महुवा महका-महका रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे ,

कितने मौसम आये गए 
घर अजहुँ ना साजन आया 
अँखियाँ थक गयीं रस्ता तकते 
चिठिया ना सन्देशा आया ,

सखियाँ मुझसे चुहल करें 
बता पिया का हाल रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे ,

कोयल कूं-कूं बोले डाली 
खेतवन झूमे गेहूं बाली 
खिली-खिली पीली सरसों है 
तितली कितनी मतवाली ,

सावन के सब झूले झूलें 
मेंहदी रचा सब हाथ रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे ,

घर आँगन सब सूना-सूना 
काँटों भरी ये सेज लगे 
पी सौतन संग रास रचाये 
तन विरहा की आग जले ,

चुनरी मोरी धूमिल हो गयी 
टूटा जोगन का सब आस रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे। 

सोमवार, 30 मई 2022

चाँद की करामात

             चाँद की करामात 


मुखड़ा दिखावे चाँद बदरा की ओट से
लुका-छिपी करे ओढ़ि घटा की चुनरिया ।

कांहें तड़पावे,तरसावे मोहें मुस्काई के
हे रही-रही टीस उठे जाईं जब सेजरिया । 

हमका रिझाई करे चन्द्रिका से बतिया
अँखिया मिलावे कब्बों फेरि ले नज़रिया ।

देखि ई निराला प्रेम करवट कटे रतिया
नयनवां से लोर ढूरे जईसे बरसे बदरिया ।

बलमा अनाड़ी नाहीं  बूझे मोरे मन की
निंदिया बेसुध सोवे मुँहें तानिके चदरिया ।

केहू तरे सुते जब जाईं दियरा बुझाई के 
करें रास चंदा,चकोर बैठि हमरे अटरिया । 

देखि जर जाय देह बेख़बर निर्दइया के 
झरोखवा के झिरी जब झाँके अँजोरिया । 

हियरा के गूंढ़ बात कहीं हम केकरा से
अस केहु होत लेत तनि हमरो खबरिया ।

होत भिनुसार चलि गईले पिउ परदेशे
सुसुकि रोईलां मुँह दाब अँचरा संवरिया ।

                     शैल सिंह 



कितना सूनापन

कितना सूनापन


छोटा सा परिवार हमारा
हरा-भरा संसार हमारा ,
हँसी,ख़ुशी,किलकारी से
गूँजा करता घर ओसारा ,

एक दिन चहल-पहल घर 
भरल रहल लईकन से 
कोना-कोना ताख झरोखा 
सजल रहल खाता बहियन से 
खूंटी अँगना अलगनी बिछौना 
लदरल रहल नरखा अंगियन से 
कोठरी,अँगना,दालान,दुआर   
भरल रहल बिछल खटियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से ,

बाबुल घर से विदा लाड़ली 
भईल जुदा संगी संखियन से 
चहकत चिरई फ़ुर्र हो गईल 
छोड़ चलल डाली बगियन के 
चाकरि खातिर देश पराये 
बबुवा दूर भईल हमहिन से 
बिखर गईल माला की भांति 
एक-एक मोती लड़ियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से ,

गुड्डा,गुड़िया सब छू मन्तर  
हो गईल हमरे अल्मरियन से 
होली,दीवाली,पर्व,दशहरा 
रूठ गईल हमरी ख़ुशियन से 
तस्वीरन से जी बहलाईं कसहुँ
निंदिया रूठ गईल रतियन से 
बईठ के ड्योढ़ी बाट निहारीं
कब लगईबैं अंकवरियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से। 

शैल सिंह 






गुरुवार, 26 मई 2022

संतानका विछोह

संतान का विछोह 


सुना लागे घरवा मोरा झनके अंगनवां 
दूर देशे पढ़े गइले सुगनी औ सुगनवां
तनिको ना लागे मनवां छछने परनवां 
दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।

माई के अंचरवा नियर कहाँ मिली छाँह हो
बाबा के दुलरवा नियर कहाँ मिली बाँह हो
करकेले छतिया मोरी कइसे होइहें दूनों थतिया मोरी 
के दिहें पानी दनवां दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।

बबुवा लिखी भेजें पतिया बबुनी करे टेलीफोनवां 
धीर धरा एक दिन माई चहकी तोर अंगनवां 
हमनी के संवारे ख़ातिर कांहे अँखियाँ देखें आख़िर 
झिलमिल सपनवां दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।


सोमवार, 14 मार्च 2022

सीमा पर तैनात जवान की पत्नी का दर्द होली पर

सीमा पर तैनात जवान की पत्नी का दर्द होली पर


अबके बरस कईसे खेलब होली
मोरे पिया परदेश रे सखी।

सावन बीतो फागुन नकिचायो
खोज न खबर पाती सन्देश आयो
सखी कवन सवत संग साजन लोभायो
उठत हिया में हिलोर रे सखी
मोरे पिया ..........।

सब गोरी पिया संग रास रचावें
गोदी में ललन कभी पलना झुलावें
सखी काँट भरी सेजिया अगन धधकावे
झंखी कागा मुड़ेरवां उड़ाऊं रे सखी
मोरे पिया ..........।

बखरी ओसारी अजगर जस दिखे
कढ़ी पकवान खांटी निमियां सरीखे
सखी ससुइ-ननद बोल वाण जईसे तीखे
ठिठोली संग देवरा ना भावे रे सखी
मोरे पिया ...........।

बनी के पहरूवा सरहदवा प ठाढ़े
कस-कस मनवां अंदेशा उठत बाड़े
सखी कवनों जतन करीं भितरां दहाड़े
कस ई सिपाही के चाकरी रे सखी
मोरे पिया ............।

केहू लूटत बाटे दिन-रात लहरा
जनवा हथेली रख पिया देत पहरा
सजी डोलिया पिया के आईल दुवरा सखी
मोरी लूटी गईलीं सगरी सिंगार रे सखी
मोरे पिया .............।  

अबके बरस कईसे खेलब होली
दूर बहुत दूर पिया परदेश रे सखी ।