मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

 

'' भोजपुरी में मेरी ये कविता ''

केकरा सह पर भईल बा एतना शानी
बोलेला बदजुबानी कन्हैया
निर्लज्ज मजमा लगा के नौटंकी खानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

बोली सुन उबाल आवे मन करे गर्दन मरोड़ीं जाके
तमाशबीनन के सठिअइले पर देईं लताड़ जाके
काहे बढ़-चढ़ के बोलेला हरामी
भइल बा अभिमानी कन्हैया ।

सहकी-सहकी बोले चहकी-चहकी बोले
हरजाई जोकर लागे भांड जस मुंह खोले
वेमुला के आदर्श माने हिन्द के अपमान पर
सेना के बदनाम करे आतंकिन के सम्मान पर
एकरा ऐंठन पर फेरे के होई पानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

पड़ोहा क ई मच्छर बाटे फैलाई महामारी
ऑपरेशन जरुरी इन्फेक्शन से होइ बेजारी 
लुच्चा कहेला भारत के टुकड़ा-टुकड़ा होई
घर-घर में कहेला भड़ुवा अफजल पैदा होई
सनपाति के बोलेला आनी-बानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

अभिव्यक्ति क अजादी मांगे भारत क बरबादी
देश के जगा दिहले पगला तूं कही के मनुवादी
देशप्रेम क उमड़ल सोता जागल सगरो जनता
मिटा के भेदभाव सबमें भईल बा अजब समता
दोगलन पे करिहा मत मातृभक्त मेहरबानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

देशभक्तन के फुटल बाटे अंगे-अंग गुस्सा
तबों नाहीं बाज आवे केतना बदजात टुच्चा
हिन्द क अपमान करे भारत के मुर्दाबाद कहे
आतंकियन के संगे मिली पाक जिंदाबाद कहे 
गद्दारन क खैर नाहीं सब लिये मन में ठानी
भईल बा बदगुमानी कन्हैया ।

निठल्ला बनि के भीख मांगे पेन्हि वामपंथी चोला
भूखमरी,गरीबी के ककहरा पे दागे बेतुका गोला 
अरे घर-घर के अफजल के हर-हर सेनानी सुन
लगइहें ठिकाने बच्चा-बच्चा लेहले मन ठानी सुन
डाली के मुश्किल में सगरी जिंदगानी
बेलगाम बोले अभिमानी कन्हैया ।

पड़ोहा--नाली   ,  सनपाति ---पगला कर

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