मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

एक झलक जो देखा उनको

मन को भा गई सांवली सुरतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।

आते-जाते उनसे मुलाकात बस हुई
आँखों-आँखों में ही सिर्फ बात बस हुई
सपनों में मेरे रोज-रोज मेरे आने है लगा
रोम-रोम मेरा गुदगुदाने है लगा,

जाग-जाग के बिताई सारी रतिया
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।

शाम से हूँ बैठी घर का खोल झरोखा
इक झलक की चाह वो है सबसे अनोखा
धड़कनों को छेड़ा है नाजो अंदाज ने
खुश्बू की तरह छाया है जां ओ जहान में,

डगर-डगर पर बिछाई दोनों अंखिया
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।

पूछता जमाना क्या हुआ है जानेमन
क्यों नैना खोये-खोये चाल-ढाल बांकपन
इक नजर के जादू की है ये दीवानगी
दिल्लगी के माजरा की ये रवानगी,

राजे दिल की छिपाई सबसे बतिया
मैं तो हुई बावरी सखी 
जाने कब होगी उनसे प्यारी बतिया 
मैं तो हुई बावरी सखी ।






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