जमुना से गगरिया भर लाने दो श्याम
रोको ना डगरिया घर जाने दो रोको ----।
सांझ ढल आयी घिर आयी बदरिया
रात अँधेरी चमके चम-चम बिजुरिया
छोड़ो ना कलईया,छोड़ो ना कलईया,घर जाने दो रोको --।
कारन तोरे संग छोड़ी सब गुजरिया
राह निरखती होगी मैया की नजरिया
छोड़ो ना कन्हैया,छोड़ो ना कन्हैया घर जाने दो ---।
कोरी चुनरिया मोरी बारी उमरिया
लागे डर अकेली कैसे जाऊँ घर संवरिया
पड़ूं तोरे पईंया,पड़ूं तोरे पईंया घर जाने दो ---।
जादू भरी अंखिया मन मोहरी बंसुरिया
करो ना विवश मोहे बनाओ ना बावरिया
होगी बदनामी सैंया,होगी बदनामी घर जाने दो---।
शैल सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें