सोमवार, 30 मई 2022

कितना सूनापन

कितना सूनापन


छोटा सा परिवार हमारा
हरा-भरा संसार हमारा ,
हँसी,ख़ुशी,किलकारी से
गूँजा करता घर ओसारा ,

एक दिन चहल-पहल घर 
भरल रहल लईकन से 
कोना-कोना ताख झरोखा 
सजल रहल खाता बहियन से 
खूंटी अँगना अलगनी बिछौना 
लदरल रहल नरखा अंगियन से 
कोठरी,अँगना,दालान,दुआर   
भरल रहल बिछल खटियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से ,

बाबुल घर से विदा लाड़ली 
भईल जुदा संगी संखियन से 
चहकत चिरई फ़ुर्र हो गईल 
छोड़ चलल डाली बगियन के 
चाकरि खातिर देश पराये 
बबुवा दूर भईल हमहिन से 
बिखर गईल माला की भांति 
एक-एक मोती लड़ियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से ,

गुड्डा,गुड़िया सब छू मन्तर  
हो गईल हमरे अल्मरियन से 
होली,दीवाली,पर्व,दशहरा 
रूठ गईल हमरी ख़ुशियन से 
तस्वीरन से जी बहलाईं कसहुँ
निंदिया रूठ गईल रतियन से 
बईठ के ड्योढ़ी बाट निहारीं
कब लगईबैं अंकवरियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से। 

शैल सिंह 






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