संतान का विछोह
सुना लागे घरवा मोरा झनके अंगनवां
दूर देशे पढ़े गइले सुगनी औ सुगनवां
तनिको ना लागे मनवां छछने परनवां
दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।
माई के अंचरवा नियर कहाँ मिली छाँह हो
बाबा के दुलरवा नियर कहाँ मिली बाँह हो
करकेले छतिया मोरी कइसे होइहें दूनों थतिया मोरी
के दिहें पानी दनवां दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।
बबुवा लिखी भेजें पतिया बबुनी करे टेलीफोनवां
धीर धरा एक दिन माई चहकी तोर अंगनवां
हमनी के संवारे ख़ातिर कांहे अँखियाँ देखें आख़िर
झिलमिल सपनवां दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।
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