सीमा पर तैनात जवान की पत्नी का दर्द होली पर
अबके बरस कईसे खेलब होली
मोरे पिया परदेश रे सखी।
सावन बीतो फागुन नकिचायो
खोज न खबर पाती सन्देश आयो
सखी कवन सवत संग साजन लोभायो
उठत हिया में हिलोर रे सखी
मोरे पिया ..........।
सब गोरी पिया संग रास रचावें
गोदी में ललन कभी पलना झुलावें
सखी काँट भरी सेजिया अगन धधकावे
झंखी कागा मुड़ेरवां उड़ाऊं रे सखी
मोरे पिया ..........।
बखरी ओसारी अजगर जस दिखे
कढ़ी पकवान खांटी निमियां सरीखे
सखी ससुइ-ननद बोल वाण जईसे तीखे
ठिठोली संग देवरा ना भावे रे सखी
मोरे पिया ...........।
बनी के पहरूवा सरहदवा प ठाढ़े
कस-कस मनवां अंदेशा उठत बाड़े
सखी कवनों जतन करीं भितरां दहाड़े
कस ई सिपाही के चाकरी रे सखी
मोरे पिया ............।
केहू लूटत बाटे दिन-रात लहरा
जनवा हथेली रख पिया देत पहरा
सजी डोलिया पिया के आईल दुवरा सखी
मोरी लूटी गईलीं सगरी सिंगार रे सखी
मोरे पिया .............।
अबके बरस कईसे खेलब होली
दूर बहुत दूर पिया परदेश रे सखी ।
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