'' भजन ''
प्रीत की जोत दिल में जला के
चैन चितचोर कान्हा उड़ा ले गया
मधुर मुरली की धुन पे नचा के
राधा रानी को छल के दगा दे गया ,
कब आयेंगे मोहन बता के तो जाते
याद में राह तकते न हम तड़फड़ाते
जाने कैसी व्याधि तन-मन लगा के
श्याम कैसी तड़प की सजा दे गया ,
रस भरी चितवन से मोहा मुरारी
फँस गईं अँखियाँ निगोड़ी बिचारी
विरही बावरी चितेरा बना के
हाय कलेजे पे बरछी चला के गया ,
मौन जमुना की लहरें तुम्हारे बिना
नम नयन गोपी ग्वाले तुम्हारे बिना
क्यों तर-बतर रास रंग में डूबा के
लीलाहारी तूं लीला दिखा के गया ,
कदम छईंया हैं बैठीं गैयाँ उदासी
बाट तेरा निहारें अंखियाँ ये प्यासी
नख से शिख नाम अपना लिखा के
विछोह के पीर से क्यों सता के गया ,
जाके कहना संदेशा ऊधो जिया की
सुध गए भूल क्यों याद आती पिया की
सांवरा सूरतिया हिया में बसा के
श्याम मनिहारी ठग बन रिझा के गया ।
शैल सिंह
प्रीत की जोत दिल में जला के
चैन चितचोर कान्हा उड़ा ले गया
मधुर मुरली की धुन पे नचा के
राधा रानी को छल के दगा दे गया ,
कब आयेंगे मोहन बता के तो जाते
याद में राह तकते न हम तड़फड़ाते
जाने कैसी व्याधि तन-मन लगा के
श्याम कैसी तड़प की सजा दे गया ,
रस भरी चितवन से मोहा मुरारी
फँस गईं अँखियाँ निगोड़ी बिचारी
विरही बावरी चितेरा बना के
हाय कलेजे पे बरछी चला के गया ,
नम नयन गोपी ग्वाले तुम्हारे बिना
क्यों तर-बतर रास रंग में डूबा के
लीलाहारी तूं लीला दिखा के गया ,
कदम छईंया हैं बैठीं गैयाँ उदासी
बाट तेरा निहारें अंखियाँ ये प्यासी
नख से शिख नाम अपना लिखा के
विछोह के पीर से क्यों सता के गया ,
जाके कहना संदेशा ऊधो जिया की
सुध गए भूल क्यों याद आती पिया की
सांवरा सूरतिया हिया में बसा के
श्याम मनिहारी ठग बन रिझा के गया ।
शैल सिंह
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