मेरे द्वारा रचित---श्याम भजन
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम
तेरी चौखटों पे सिर नवा नित करूं प्रणाम
सुबहो-शाम राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।
सजा आरती का थाल लिए चारों ही प्रहर
अभिलाषी दरश की मैं फिरूं इधर से उधर
इक बार प्रकट होकर दरश दे दो घनश्याम
विमल चरणों के स्पर्श में करलूं चारों धाम
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।
तेरे प्रेम की दीवानगी में घर-बार छोड़कर
शरण तेरा चाहूँ बन्धनों की गांठ खोलकर
लिप्त भजन में तेरे मैं गर हो जाऊं बदनाम
मीरा बावरी सी हो जाएगा मेरा अमर नाम
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।
वनांचलों में खोजा हेरा गिरि कन्दराओं में
पशु-पक्षियों से पूछा,हेरा परेशां हवाओं में
कहाँ मुरली माधव तुम गिरधर अन्तर्ध्यान
नैना तरसें तृप्त कर दो यूँ करो ना परेशान
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।
ढूंढूं कुन्ज गली में मैं तुझे मथुरा गली में
बृन्दावन में ढूंढा,ढूंढा तुझे द्वारिकापुरी में
मनमंदिर में मेरे प्रभु मूर्ति तेरी विराजमान
इस बात से ही मैं भला रही क्यूं अनजान
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम।
शैल सिंह
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