कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,
श्यामवर्ण कमनीय रूप मुख मंद-मंद मुस्कान
रत्नजटित नूपुर चरणों अंग पीताम्बर शोभायमान
मोहा मन मकराकृत कुण्डल लोचन कमल समान ,
घूँघर केशों में उलझा माखन चोर ने किया दीवाना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,
सोते जागते आठों पहर कृष्णा अधरों पे तेरा नाम
हृदय घाट पर बजती निश दिन मंजुल मूरली तान
वन,उपवन,कुन्ज गली में फिर हो जाते अन्तर्ध्यान ,
मन की प्रेम गली में बना लिया तुमने ठौर ठिकाना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन ,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,
प्रेम सुधा बरसा के हो गये करुना निधान अनजान
श्यामल मन के वृन्दावन का लिये नहीं क्यों संज्ञान
आ भी जाओ अब तो कन्हैया ना करो हमें परेशान ,
तेरे प्रीत के रंग में रंगी राधिका कान्हा जाने जमाना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन ,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,
शैल सिंह
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