सोमवार, 14 अगस्त 2017

कैसे सहूं जग ताना

              कैसे सहूं जग ताना


सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,

श्यामवर्ण  कमनीय  रूप  मुख  मंद-मंद  मुस्कान
रत्नजटित नूपुर चरणों अंग पीताम्बर शोभायमान
मोहा मन मकराकृत कुण्डल लोचन कमल समान ,

घूँघर केशों में उलझा माखन चोर ने किया दीवाना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,

सोते जागते आठों पहर कृष्णा अधरों पे तेरा नाम
हृदय घाट पर बजती निश दिन मंजुल मूरली तान
वन,उपवन,कुन्ज गली में फिर हो जाते अन्तर्ध्यान ,

मन की प्रेम गली में बना लिया तुमने ठौर ठिकाना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन ,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,

प्रेम सुधा बरसा के हो गये करुना निधान अनजान
श्यामल मन के वृन्दावन का लिये नहीं क्यों संज्ञान
आ भी जाओ अब तो कन्हैया ना करो हमें परेशान ,

तेरे प्रीत के रंग में रंगी राधिका कान्हा जाने जमाना
कैसे खोलूं लाज का अवगुंठन ,कैसे सहूं जग ताना
सांवरिया ने लूट लिया दिल का नगर किया वीराना ,

                                          शैल सिंह


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