कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष,
मेरी रचना
''मीरा भजन''
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरेमुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण तेरे श्याम कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे ,
मुरली धुन में राधा-राधा
मीरा भजन में श्याम ,
नन्दलाल की माला जपना
बस मीरा का काम ,
विष का प्याला पी गई हँसते
छवि देखि अभिराम ,
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण तेरे श्याम कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे।
मोहनी मूरत हाथों में
हरि का होंठों पर नाम ,
आठों पहर बसते हैं जिसके
नयनों में घनश्याम ,
राजपाट घर-बार छोड़कर
धर ली मथुरा धाम ,
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण तेरे श्याम कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे।
श्याम दरश की बावरी अँखिया
महलों का सुख छोड़ दिया ,
हरे मुरारी बांके विहारी
को कहती मेरा पिया-पिया ,
जोगन बनकर दासी मीरा
अमर कर गई नाम ,
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण तेरे श्याम कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे।
शैल सिंह
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