फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
अदहन जइसे खदके भीतर सास की तीखी बोली
पेट मरोड़े ननद का ताना जइसे गन की गोली
घिरे धरम संकट में सईयां कभी जुबां ना खोली ,
फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
ससुर जी मेहरा बनकर बइठे दुवरा डाल खटोली
देवर लुहेड़ा लेवे लिहाड़ी टिप-टिप बोले बोली टीबोली
मौन साध जुती रहूँ बैल सी जाने किस घर आई डोली ,
फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
छूटा गाँव जवारा नईहर छूटी प्रिय सखियन की टोली
कजरी,झूला,मेला,छूटा सैर सपाटा छूटी गांव की होली
छूटे दीवाली,दीये पटाखे घर की छूटी रंग बिरंग रंगोली ,
फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
कजरी,झूला,मेला,छूटा सैर सपाटा छूटी गांव की होली
छूटे दीवाली,दीये पटाखे घर की छूटी रंग बिरंग रंगोली ,
फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
बापू के नेह की घाम थी देखी ममता के छाँह की खोली
भैया के लाड़ की बरखा बहन के आँचल में डांटें रो लीं
आजी-बाबा के संस्कार के आँवा,मैं पकी निगोड़ी भोली ,
फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
शैल सिंह
भैया के लाड़ की बरखा बहन के आँचल में डांटें रो लीं
आजी-बाबा के संस्कार के आँवा,मैं पकी निगोड़ी भोली ,
फँसी मुदईयों बीच अकेली हूँ मैं क्या करूँ राम
कोई सखी ना मेरी सहेली है मैं क्या करूँ राम
उलझी सुलझे ना मेरी पहेली है मैं क्या करूँ राम,
शैल सिंह
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