शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

पपिहा पिउ-पिउ बोलेला अटारी मा 

पिया बिन झन-झन झनके अंगनवां 
सून लागे मोरा भवनवां ,
रहिया ताके बेकल नयनवां
निर्मोही भयो सजनवां ,
पपिहा पिउ-पिउ बोलेला अटारी मा
हिया में लगे कटारी ना --२ ,
             
बित गये कित दिवस महिनवा
बिता जाये मास सवनवा ,
कब मोरे अइहें बारे बलमवां
पुजिहें मन के आस सजनवा ,
पपिहा पिउ-पिउ बोलेला अटारी मा
हिया में लगे कटारी ना --२ ,
पिया…।

मोरे पिया गए परदेश
जाके दे दे कोई संदेश ,
मैं तो हो गई रे जोगनियाँ
विरथा जाये भरी जवनियाँ ,
बाली उमर में हुआ गवनवां
बुझे ना बैरी सजनवां ,
सखी सहेली ,छूटा सिवनवां
नैहर हुआ सपनवां ,
पपिहा पिउ-पिउ बोलेला अटारी मा
हिया में लगे कटारी ना --२ ,
पिया…।

झंखे री मोरी सूनी सेजरिया
मैं तो हो गयी री बावरिया ,
कैसे काटूँ विरह की रतिया
किससे कहूँ जिया की बतिया ,
सासू ननद कै साले मेहनवां
गोदिया सूनी बिनु ललनवां ,
हंसी ठिठोली भावे ना मनवां
देवरा भयो सयनवा,
पपिहा पिउ-पुउ बोलेला अटारी मा
हिया में लगे कटारी ना --२ ,
पिया…।

                                         शैल सिंह

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