शुक्रवार, 10 जून 2022

पाकिस्तान की गुस्ताख़ी पर गाना

मानें नाहीं कहना पाकिस्तानी तो
सुनो हिंदुस्तानी विरना
मिटा दो इनकी नामो निशानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

कितनी बार समझाया नहीं समझे बात ये
बार-बार करता ख़ुराफ़ात बदजात ये 
अब तो हो रहा सर से ऊपर पानी 
ऐसी करो कारस्तानी विरना
कि इनके पुरखे भी आके मांगें पानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

मानें नाहीं कहना पाकिस्तानी तो
सुनो हिंदुस्तानी विरना
मिटा दो इनकी नामो निशानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

जबसे मिला है जग में हिन्द को पहचान हो
तब से हुआ है पापी देखो परेशान हो
करे मिल के चीन संग शैतानी तो
बता दो होता कैसा दुश्मन जानी विरना
तुझे शेरों होगी औक़ात दिखानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ,

मानें नाहीं कहना पाकिस्तानी तो
सुनो हिंदुस्तानी विरना
मिटा दो इनकी नामो निशानी
देनी हो जो क़ुरबानी विरना ।

शुक्रवार, 3 जून 2022

टूटे सब आस

 टूटे सब आस 

अमराइयाँ खिली हैं 
महुवा महका-महका रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे ,

कितने मौसम आये गए 
घर अजहुँ ना साजन आया 
अँखियाँ थक गयीं रस्ता तकते 
चिठिया ना सन्देशा आया ,

सखियाँ मुझसे चुहल करें 
बता पिया का हाल रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे ,

कोयल कूं-कूं बोले डाली 
खेतवन झूमे गेहूं बाली 
खिली-खिली पीली सरसों है 
तितली कितनी मतवाली ,

सावन के सब झूले झूलें 
मेंहदी रचा सब हाथ रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे ,

घर आँगन सब सूना-सूना 
काँटों भरी ये सेज लगे 
पी सौतन संग रास रचाये 
तन विरहा की आग जले ,

चुनरी मोरी धूमिल हो गयी 
टूटा जोगन का सब आस रे 
मोरे जिया में आग लगाये 
पिया-पिया बोले पपीहा रे।