सोमवार, 30 मई 2022

चाँद की करामात

             चाँद की करामात 


मुखड़ा दिखावे चाँद बदरा की ओट से
लुका-छिपी करे ओढ़ि घटा की चुनरिया ।

कांहें तड़पावे,तरसावे मोहें मुस्काई के
हे रही-रही टीस उठे जाईं जब सेजरिया । 

हमका रिझाई करे चन्द्रिका से बतिया
अँखिया मिलावे कब्बों फेरि ले नज़रिया ।

देखि ई निराला प्रेम करवट कटे रतिया
नयनवां से लोर ढूरे जईसे बरसे बदरिया ।

बलमा अनाड़ी नाहीं  बूझे मोरे मन की
निंदिया बेसुध सोवे मुँहें तानिके चदरिया ।

केहू तरे सुते जब जाईं दियरा बुझाई के 
करें रास चंदा,चकोर बैठि हमरे अटरिया । 

देखि जर जाय देह बेख़बर निर्दइया के 
झरोखवा के झिरी जब झाँके अँजोरिया । 

हियरा के गूंढ़ बात कहीं हम केकरा से
अस केहु होत लेत तनि हमरो खबरिया ।

होत भिनुसार चलि गईले पिउ परदेशे
सुसुकि रोईलां मुँह दाब अँचरा संवरिया ।

                     शैल सिंह 



कितना सूनापन

कितना सूनापन


छोटा सा परिवार हमारा
हरा-भरा संसार हमारा ,
हँसी,ख़ुशी,किलकारी से
गूँजा करता घर ओसारा ,

एक दिन चहल-पहल घर 
भरल रहल लईकन से 
कोना-कोना ताख झरोखा 
सजल रहल खाता बहियन से 
खूंटी अँगना अलगनी बिछौना 
लदरल रहल नरखा अंगियन से 
कोठरी,अँगना,दालान,दुआर   
भरल रहल बिछल खटियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से ,

बाबुल घर से विदा लाड़ली 
भईल जुदा संगी संखियन से 
चहकत चिरई फ़ुर्र हो गईल 
छोड़ चलल डाली बगियन के 
चाकरि खातिर देश पराये 
बबुवा दूर भईल हमहिन से 
बिखर गईल माला की भांति 
एक-एक मोती लड़ियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से ,

गुड्डा,गुड़िया सब छू मन्तर  
हो गईल हमरे अल्मरियन से 
होली,दीवाली,पर्व,दशहरा 
रूठ गईल हमरी ख़ुशियन से 
तस्वीरन से जी बहलाईं कसहुँ
निंदिया रूठ गईल रतियन से 
बईठ के ड्योढ़ी बाट निहारीं
कब लगईबैं अंकवरियन से 
आज उहै नज़ारा ख़ोजत हईं हम 
अपने दुई सुनी अँखियन से। 

शैल सिंह 






गुरुवार, 26 मई 2022

संतानका विछोह

संतान का विछोह 


सुना लागे घरवा मोरा झनके अंगनवां 
दूर देशे पढ़े गइले सुगनी औ सुगनवां
तनिको ना लागे मनवां छछने परनवां 
दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।

माई के अंचरवा नियर कहाँ मिली छाँह हो
बाबा के दुलरवा नियर कहाँ मिली बाँह हो
करकेले छतिया मोरी कइसे होइहें दूनों थतिया मोरी 
के दिहें पानी दनवां दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।

बबुवा लिखी भेजें पतिया बबुनी करे टेलीफोनवां 
धीर धरा एक दिन माई चहकी तोर अंगनवां 
हमनी के संवारे ख़ातिर कांहे अँखियाँ देखें आख़िर 
झिलमिल सपनवां दूनों रे झुनझुनवां बिना छछने परनवां,दूनों रे ….।