मंगलवार, 29 सितंबर 2015

मीरा भजन

  कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष,

         मेरी रचना 

       ''मीरा भजन'' 

मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण  तेरे  श्याम   कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे ,

मुरली धुन में राधा-राधा
मीरा भजन में श्याम ,
नन्दलाल की माला जपना
बस मीरा का काम ,
विष का प्याला पी गई हँसते
छवि देखि अभिराम ,

मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण  तेरे  श्याम   कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे।

मोहनी मूरत हाथों में
हरि का होंठों पर नाम ,
आठों पहर बसते हैं जिसके
नयनों में घनश्याम ,
राजपाट घर-बार छोड़कर
धर ली मथुरा धाम ,

मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण  तेरे  श्याम   कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे।

श्याम दरश की बावरी अँखिया
महलों का सुख छोड़ दिया ,
हरे  मुरारी   बांके  विहारी
को कहती मेरा पिया-पिया ,
जोगन बनकर दासी मीरा
अमर कर गई नाम ,

मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे
मुरली वाले घनश्याम कारण तेरे
अकारण  तेरे  श्याम   कारण तेरे
मीरा हो गयी री बदनाम अकारण तेरे।


                                                               शैल सिंह

सोमवार, 28 सितंबर 2015

खांटी भोजपुरी में एक जुमला गीत

करा जनि गुमान एतना
सोना ,अन ,धन पाई के
केतनी   लरकल   रहेले
डरिया लदरल मुड़ियाई के ,

भरल  गगरिया   कबहूँ
ना  छलके   इतराई  के
अधजल गगरिया छलके
छल-छल  इठिलाई  के
वोहि जल गिरेला मद में
गुमानी अन्हरा बिछिलाई के
केतनी लरकल  ....| करा जनि  ....|

भरल    पत्तलवा    कबहूँ
ना   उड़ेला  उधियाई  के
खाली  पत्तरवा  सर-सर
उड़ेला    सुरियाई    के
गिरि पड़ि सरेला कवनों
गड़हा     मुरुझाई     के
केतनी लरकल  …। करा जनि  ....|

देखि-देखि हरियर बगिया
चल ताड़ू लुग्गा  झहराई के
ई ना दूसरा के  कामे आई
हम त कहिला फरियाई के
नै  के तनी  चला डगरिया
मति उतान सीना तानि के
केतनी लरकल  ....| करा जनि  ….|

नै --झुक कर
                     शैल सिंह 

गुरुवार, 24 सितंबर 2015

किस घर आई डोली


फँसी  मुदईयों  बीच  अकेली   हूँ  मैं   क्या   करूँ  राम
कोई   सखी  ना  मेरी  सहेली   है  मैं   क्या  करूँ  राम
उलझी  सुलझे  ना मेरी  पहेली है  मैं   क्या  करूँ  राम,

अदहन  जइसे   खदके  भीतर  सास  की  तीखी  बोली
पेट   मरोड़े   ननद   का  ताना  जइसे  गन  की   गोली
घिरे  धरम  संकट   में  सईयां  कभी  जुबां  ना   खोली ,
फँसी  मुदईयों  बीच  अकेली   हूँ  मैं   क्या   करूँ  राम
कोई   सखी  ना  मेरी  सहेली   है  मैं   क्या  करूँ  राम
उलझी  सुलझे  ना मेरी  पहेली है  मैं   क्या  करूँ  राम,

ससुर  जी   मेहरा  बनकर  बइठे  दुवरा  डाल  खटोली
देवर लुहेड़ा लेवे लिहाड़ी टिप-टिप बोले बोली टीबोली
मौन  साध जुती रहूँ बैल सी जाने किस घर आई डोली ,
फँसी  मुदईयों  बीच  अकेली   हूँ  मैं   क्या   करूँ  राम
कोई   सखी  ना  मेरी  सहेली   है  मैं   क्या  करूँ  राम
उलझी  सुलझे  ना मेरी  पहेली है  मैं   क्या  करूँ  राम,


छूटा गाँव जवारा नईहर छूटी प्रिय सखियन  की टोली
कजरी,झूला,मेला,छूटा सैर सपाटा छूटी गांव की होली
छूटे दीवाली,दीये पटाखे घर की छूटी रंग बिरंग रंगोली ,
फँसी  मुदईयों  बीच  अकेली   हूँ  मैं   क्या   करूँ  राम
कोई   सखी  ना  मेरी  सहेली   है  मैं   क्या  करूँ  राम
उलझी  सुलझे  ना मेरी  पहेली है  मैं   क्या  करूँ  राम,

बापू के नेह की घाम थी देखी ममता के छाँह की खोली
भैया के लाड़ की बरखा बहन के आँचल में डांटें रो लीं
आजी-बाबा के संस्कार के आँवा,मैं पकी निगोड़ी भोली ,
फँसी  मुदईयों  बीच  अकेली   हूँ  मैं   क्या   करूँ  राम
कोई   सखी  ना  मेरी  सहेली   है  मैं   क्या  करूँ  राम
उलझी  सुलझे  ना मेरी  पहेली है  मैं   क्या  करूँ  राम,
                                                          शैल सिंह








शनिवार, 19 सितंबर 2015

कृष्ण भजन

                                         '' कृष्ण  भजन '' 


मैया बड़ा करे परेशान तेरो कान्हा रगरी 
पूछ ले देखे है करतूतें सारी गोकुल नगरी 

जब जमुना जल भरने जाऊँ काँख में दाब गगरिया 
बीच राह धरि बँहिया छेड़े नटखट तेरो सँवरिया 
करे डगर बीच रगरा मोसे बहुत करे बरजोरी 
तेरो कान्हा रगरी ,मैया बड़ा। .......| 

बाल-गोपाल संग खान-बेखान की लीला करे सँवरिया 
रंग-बिरंग का भेष बना करे जादू बजा बंसुरिया 
मनिहारी बन ठग लियो मोको दियो नरम कलाई मरोरी 
तेरो कान्हा रगरी ,मैया बड़ा। ....| 

सब गोपियन की चीर चुरा छुप बइठे कदम की डरिया 
जगहंसाई बड़ी होगी मुरारी करें मनुहार गुजरिया 
रार करे ना माने कहना सुने ना कोई चिरौरी 
तेरो कान्हा रगरी , मैया बड़ा। …। 

मटकी फोड़े शिकहर तोड़े खाए माखन मलैया 
भरि-भरि मुख लिपटायो माखन फिर भी देवे दुहईया 
तेरो चितचोर बड़ा उत्पाती करे है घर-घर चोरी 
तेरो कान्हा रगरी ,मैया बड़ा। …। 

                                  शैल सिंह 

शनिवार, 5 सितंबर 2015

''कृष्ण जन्माष्टमी पर मेरे द्वारा रचित कृष्ण भजन''

 ''कृष्ण जन्माष्टमी पर मेरे द्वारा रचित कृष्ण भजन''

         
नन्द के दुलारे कबसे 
खड़ी हूँ तिहारे दर पे ,
दर्शन को प्यासी अँखिया 
तेरी मैं पुजारन रसिया--२ 

मीरा की भक्ति भर दो
राधा की प्रेम पूजा ,
तुझमें रमा दूँ जीवन                                                      भर दो ऐसा भाव भींगा , 
तम् सा अँधेरा मन में 
ज्ञान का सवेरा भर दो ,
धनवान तुम तो लखिया 
दर की मैं भिखारन रसिया --२


नन्द के दुलारे कबसे
खड़ी हूँ तिहारे पे ,
दर्शन को प्यासी अँखिया
तेरी मैं पुजारन रसिया--२

रास के रचईया स्वामी 
तुम  अन्तर्यामी ,
भटकी हूँ पथ से अपने
मैं हूँ खल कामी ,
मोह ,दंभ ,लोभ मिटा दो
करुणा ,अनुराग जगा दो ,
पालनहार तुम तो लखिया
दर की मैं भिखारन रसिया --२
                                                         
नन्द के दुलारे कबसे
खड़ी हूँ तिहारे पे ,
दर्शन को प्यासी अँखिया
तेरी मैं पुजारन रसिया--२
                                          शैल सिंह