आजा घर परदेशी करती निहोरा
सावन की कारी बदरिया पिया
तेरी यादों का विष पी नागिन हुई ।
नाचें मयूरी मोर पर फहरा-फहरा
पिउ-पिउ बोले वन पापी पपिहरा
कुहुके कोयलिया हूक उठे हियरा
दहकावे तन-वदन निरमोही बदरा
सावन की विरही कजरिया पिया
तेरी यादों का विष पी नागिन हुई ।
सुध-बुध दिये सकल पिया बिसरा
नैना से लोर ढूरे बहि जाये कजरा
झूला न कजरी सखिन संग लहरा
चिन्ता अंदेशा में काया गई पियरा
सावन की टिसही सेजरिया पिया
तेरी यादों का विष पी नागिन हुई ।
बौरा बरसाये नभ झर-झर फुहरा
सिहरे कलेजा भींजा जाये अंचरा
भावे ना रूपसज्जा सिंगार गजरा
आजा घर परदेशी करती निहोरा
सावन की कड़के बिजुरिया पिया
तेरी यादों का विष पी नागिन हुई ।
उड़-उड़ बैइठे कागा छज्जे मुँड़ेरा
चिट्ठी ना संदेश दे शूल चुभे गहरा
बाबा सुदिन टार फेरि दिये कंहरा
लागे ना नैहर में कंत बिना जियरा
सावन की पिहके पिरितिया पिया
तेरी यादों का विष पी नागिन हुई ।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शैल सिंह
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें