बुधवार, 26 जुलाई 2023

आजा घर परदेशी करती निहोरा 

आजा घर परदेशी करती निहोरा 

सावन  की  कारी  बदरिया  पिया 

तेरी यादों का विष पी  नागिन हुई ।


नाचें मयूरी मोर पर फहरा-फहरा 

पिउ-पिउ बोले वन पापी पपिहरा 

कुहुके कोयलिया हूक उठे हियरा

दहकावे तन-वदन निरमोही बदरा 

सावन की विरही  कजरिया पिया 

तेरी यादों का विष पी  नागिन हुई ।


सुध-बुध दिये सकल पिया बिसरा 

नैना से लोर ढूरे बहि जाये कजरा 

झूला न कजरी सखिन संग लहरा 

चिन्ता अंदेशा में काया गई पियरा

सावन की  टिसही सेजरिया पिया 

तेरी यादों का  विष पी नागिन हुई ।


बौरा बरसाये नभ झर-झर फुहरा 

सिहरे कलेजा भींजा जाये अंचरा 

भावे ना रूपसज्जा सिंगार गजरा 

आजा घर परदेशी करती निहोरा 

सावन की कड़के बिजुरिया पिया 

तेरी यादों का विष पी  नागिन हुई ।


उड़-उड़ बैइठे कागा छज्जे मुँड़ेरा 

चिट्ठी ना संदेश दे शूल चुभे गहरा 

बाबा सुदिन टार फेरि दिये कंहरा 

लागे ना नैहर में कंत बिना जियरा 

सावन की पिहके पिरितिया पिया 

तेरी यादों का  विष पी नागिन हुई ।

सर्वाधिकार सुरक्षित 

शैल सिंह