सोमवार, 5 सितंबर 2016

कृष्ण भजन '' छाई बरसाने में धूम ''

                               '' कृष्ण भजन '' 

छाई  बरसाने  में धूम आये  गोकुल  से घनश्याम  
गोकुल नगरी  सूनी कर गए  सूना नगर  बृजग्राम
छाई बरसाने में धूम आये गोकुल  .....।

प्रेम का जोग लगा गिरिधर रोम-रोम में गए समां
झूठे बंधन झूठी माया के मोहजाल में लिए फँसा
मन बस में करके छैलछबीला बना लिया गुलाम
छाई बरसाने में धूम आये गोकुल  .....। 

झान्झर बजे ना राधे की गोपी गली कुञ्ज ना हरषें  
कैसी लगन लगाई ईक झलक को अँखियाँ तरसें
माँ यशुमति का हाल न पूछो दुःखी नन्द बलराम
छाई बरसाने में धूम आये गोकुल  ....।  

अबीर ,गुलाल  लगा अंग  संग खेलें  राधा के रंग
बजा के मुरली माधुरी  करें गोपियन संग हुड़दंग
बलि-बलि जाएँ ग्वाल-ग्वालिनें लीला देखि ललाम
छाई  बरसाने में धूम आये गोकुल…।

वृषभानु कुमारी वंशी बसी मन राधा बसे हैं श्याम
क्षण में रूप धरें बहुतेरे क्षण में नजर से अंतर्ध्यान
करो न हमें परेशान कन्हैया हो गयी अब तो शाम
छाई बरसाने में धूम आये गोकुल  …।

                                                  शैल सिंह 

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