रविवार, 9 अगस्त 2015

सावन आईल

     '' सावन आईल '

सावन आईल आजा साजन
बूंदिया भिजावे बरसात की
झीनी-झीनी झिंसिया के
नीमन लागे फुहरा
देहिया जरावे बरसात की ,
सावन आईल  …।

मनवा उछाह भरे कऊँधे बिजुरिया
देखि घनघोर घटा उठेला लहरिया
मारेला झकोरा पूरवा                                                      
उडा के मोरा अंचरा
आग भड़कावे मोरे प्यास की  ,
सावन आईल  ....|

जोगन बनावे जोगी पपीहा की बोलिया
कुहुके करेजा बागां बोले जब कोइलिया
मनवा के अंगना उतरे
चाँद सी सुरतिया
सेज धधकावे आधी रात की ,
सावन आईल  …।

सोनवा मढ़इबों चोंच तोर कारे कगवा
दूध भात देबों कागा सोने के कटोरवा
तबहूँ ना उड़ि बईठे
कगवा मुड़ेरवा
मरम ना जाने दिल के बात की ,
सावन आईल…।

सँझिया-विहाने राह ताके बऊरहिया
कवना कसूर तजि दिये निरमोहिया
जेठवा,आषाढ़ जईसे
बीते ना सवनवां
पिया बतिया ना बुझे ऐहवात की ,
सावन आईल  ....।

ऐहवात---सुहागन
                                  शैल सिंह



























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