मंगलवार, 29 मई 2018

गांव-शहर पर भोजपुरी में मेरी एक रचना

गांव-शहर पर भोजपुरी में मेरी एक रचना


हमरे गउंवां में जइसन लगे पिपरा के छांव हो
कत्तों नाहीं देखलीं वइसन शहर बीचे ठांव हो ,

सटले-सटल घर तब्बों काटे सुनसान उदासी
हनल केवाड़ी जंगला सब कर रहे दिनों राति
केतनों झंकलीं अगल-बगल केहू ना देखाला
जइसे गंउंवां में हमरे पग-पग लोगवा भेंटाला
तरस जाला जियरा केहु ना मिले बतियावे के
चला देख गउंवां हमरे मन करि नाहिं आवे के ।

कब भिनुसार होला कब होले इहवां सांझ हो
कब चिरई चह-चहके कब देला मुर्गा बांग हो
ना कवनों मुड़ेरवा सुनलीं कांव-कांव काग के
ना त केहु हाथे देखलीं कटोरवा दूध भात के
ना केहु से मेल-मिलापा लेन-देन व्यवहार हो
चला देखा गंउंवां विहँसे लगे रोज त्यौहार हो ।

कहे के शहर बड़ा कैद दुई कोठरी में जिनगी
होला गदबेला कब चकोर-चन्दा में दिल्लगी
न अंगना ओसारी कुछ सुखाईं मन बहलाईं
ना बित्ता भर दुवार कत्तों झांकि-ताकि आईं
आसमान छूवे कई-कई तल्ला के मकान हो
लागे नाहिं रहेला एहमे केहू एको इन्सान हो ।
     
बहुते अमीर इहां फटल परिधान तन धार के
अंईंठे शहर के लोग चले आधा तन उघार के
बहुत गरीब गांव तब्बों सबक तन ढंकल बा
आधे पेट खाके देखा हंसत सबक सकल बा
जे गंउंवां के गंवार कहे मन करे गरियाईं हो  
धई के उमेठीं कान दरश गंउंवां के कराईं हो ।

                                                 शैल सिंह

गुरुवार, 10 मई 2018

श्याम भजन

मेरे द्वारा रचित---श्याम भजन

जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम
तेरी चौखटों पे सिर नवा नित करूं प्रणाम
सुबहो-शाम राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।

सजा आरती का थाल लिए चारों ही प्रहर
अभिलाषी दरश की मैं फिरूं इधर से उधर
इक बार प्रकट होकर दरश दे दो घनश्याम
विमल चरणों के स्पर्श में करलूं चारों धाम
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।

तेरे प्रेम की दीवानगी में घर-बार छोड़कर
शरण तेरा चाहूँ बन्धनों की गांठ खोलकर
लिप्त भजन में तेरे मैं गर हो जाऊं बदनाम
मीरा बावरी सी हो जाएगा मेरा अमर नाम
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।

वनांचलों में खोजा हेरा गिरि कन्दराओं में
पशु-पक्षियों से पूछा,हेरा परेशां हवाओं में
कहाँ मुरली माधव तुम गिरधर अन्तर्ध्यान
नैना तरसें तृप्त कर दो यूँ करो ना परेशान
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम ।

ढूंढूं कुन्ज गली में मैं तुझे मथुरा गली में
बृन्दावन में ढूंढा,ढूंढा तुझे द्वारिकापुरी में
मनमंदिर में मेरे प्रभु मूर्ति तेरी विराजमान
इस बात से ही मैं भला रही क्यूं अनजान
जुबां नाम रटे तेरा सुबहो-शाम राधेश्याम
राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम,राधेश्याम।
                                       शैल सिंह

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